Wednesday 8 January 2014

Tally Rules 2

Golden Rules Of Accounting
1.Personal A/C
पाने वाल (Dr)डेबीट (br/) डेने बाला (Cr)केडिट
Real A/c/C
व्यापार मे आने वाली वस्तु (Dr) डेबीट/
व्यापार मे जाने वाली वस्तु (Cr) केडिट
Nominal A/C
सभी खर्चे व हानि(Dr) डेबीट/C
सभी आय व लाभ(Cr) केडिट
Terminology Of Accounting
1. Business:- लाभ प्राप्त करने के उददेश्य सेजो वैधानिक कार्य किया जाता है उसे व्यापार कहते है , वस्तुओ का उत्पादन , माल का क्रय - विक्रय बैंक और बीमा आदि के कार्य व्यापार कहलाते है
Profession:- एस कार्य या साधन जिसके होती है , पेशा या च्तवार्मेपदव कहलाता है
Example:- Doctor, Teacher ,Advocate Etc,
3.Properiter(Lokeh):- स्वामी उस व्यक्ति या संगठन को कहते है व्यापार मे द्र्व्य का मुल्य लगाकर व्यापार करता है व व्यापार से होने वाले लाभ का आधिकारी होता है और व्यापार मे हनि होने पर उसका जोखिम उठाता है व्यापार का स्वामी व्यापार के संगठन के मान से एकांकी व्यापार , साझेदार , सन्युक्त प्रमंड्ल का अंशधारी या सहकारी सर्मिति का सदस्य हो सकता है !
4.Capital :- पूंजी द्र्व्य का भाग या संपत्ति है जो धन कमाने के लिए व्यापार मे लगाई जाती है !
5.Drawing:-(आहरण ):- यदि व्यापार का स्वामी अपने निजी उपयोग के लिए व्यापार से रोकड या माल निकालता है तो उसे आहरण काहते है !
6.Good:-(माल):- माल से आशय उन वस्तुओ से है जो पुन: विक्रय के लिए अथवा विक्र्य योग्य दशा मे परिवर्तित करने के लिए खरीदी जाती है ! जिन वस्तुओ का क्रय - विक्रय होता है उसे माल कहते है !
7. Purchase:-(क्रय):- जो माल बेचने के उददेश्य से क्गरीदा जाता एहि उसे क्रय कहते है , उधार खरीदा गया या नकाद खरीदा गया कहलाता है क्र करने वाला व्यक्ति क्रेता काहलाता है !
8.Sales:-(विक्रय):- जो माल बेचा जाता है उसे विक्रय उआ समे कहते है जो माल उधार बेचा जाता है उसे उधारे विक्रय कहते है जो माल नकद बेचा जाता है उसे नकद विक्रय कहते है विक्रेता मससमत कहमाला है !
9.Purchase Return:- क्रय वापसी, क्रय मे से माल,किसी कारणवश माल वापस किया जाता है उसे क्र्य वापसी या कहते है !
10.Sales Return:- विक्रय वापसी बेच्र हुए माल मे से जो माल वापस आ जाता है विक्रय वापसी कहलाता है !
11.Sundry Debtors:- (विवध देनदार ):- जो व्यक्ति फर्म , संस्था से माल अथवा सेवाए उधार लेती है उसे व्यापार का य देनदार कहते !
12.Sundry Creditors:- (विविध लेनदार):- जिस व्यक्ति , फर्म या संस्था से माल अथवा सेवाए उधार ली जाती है उसे त्र्ण्
13. Loan:- आवश्यकता पड्ने पर व्यापारी अन्य व्यक्तियो अथवा बैंको से धन उशार लेता है एसा उधार की गई धनराशी को क्रय कहते यदि व्यापार को प्रार्ंभ करते समय धनराशी कि कमी को उधार लेकर पुरा किया व्यापार को प्रार्ंभ करते समय
14. Business Transaction:-लेनदेन व्यावहार या सौदे, दो पक्षो के बीच होने वाले मुद्रा या सेवा के विनिमय को लेन - देन व्यवहार या सौदा कहते है ! माल खरीदना या बेचना , भुगतान देना या लेना आदि आर्थिक कियाए व्यवहार कहलाती है !
व्यापार मे व्यवहार के तीन रुप प्रचलिता है :-
A. Cash Transaction( नकद व्यवकार ):- यदि लेनदेन नकद अथवा बैंक के माध्यम से तत्काल किया जाता है तो वह नकद व्यवहार कहलाता है ! जैसे - नकद माल खरीदाना , माल खरीदकर भुगतान चेक से करना है !
B. Credit Transaction( उधार व्यवहार ):- जिन सौदो का भुगतान तुरंत किया जाकर कुछ सनय बाद किया जाता है तो एसे व्यवहार उधार कहलाते है !
14. Entry:- (प्रविष्टि):- लेनदेन को हिसाब कि पुस्तको मे लिखना प्रविष्टि कहलाता है और उसके लिपिवदध स्वरुप को प्रविष्टि कहकाते है !
15.Discount(बटट या छुट):- यह एक प्रकार की रियायत है जो समय एक व्यापारी उसके ग्राहक को दी जाती है , यह रियायत दो प्रकार दी जाती है -
A. Cash Discount :- (नकद बटटा) निश्चित अथवा निर्धारित अवधि मुल्य का भुगतान करने पर ऋणी को जो रियायत या छुट दी जाती है नकद बटटा या कहते है ! इस रियायत का मुख्य उददएश्य शीघ्र भुगतान करने कि और ग्राहको को आकर्षित करना है , इसकि प्रविष्टि लेखा पुस्तको मे कि जाती है !
B. Trade Discount (व्यापारीक बटटा):- विक्रेता अपने ग्राहको को माल खरीदते समय उसके सुची मुल्य मे जो रियायत या छुट देता है उसे कहते है !
16. Assets (संपत्ति):- कुछ एसी वस्तुए होती है जो व्यापार चलाएने एके लिए आवश्यक होती है इन वस्तुओ को व्यापार कि संपत्ति कहा जाता है ! जैस भवन,यत्र फर्निचर आदी व्यापारी या तो इनहे खरीदता है या तो उसके पास पहले से हो इन पर व्यापार का स्वामित्व होता है
17. Liabilities(दायित्व ):- व्यापार के देय धन को दायित्व या देयता कहते है , कुछ राशिया होती है जिनको चुकाने का दायित्व व्यापार पर होता है ! जैसे :- पुंजी कि रकाम , देय विपत्र बैंक अधिविकर्ष , ऋणदाताओ को देय रकम आदी !
18. Total Sales (कुल बिक्री):- एक निश्चित अवधि मे होने वाले नकद तथा उधार विक्रय का योग कुल विक्रय कहलाता है !
19.Voucher (प्रमाण पत्र ):- लेन -देन को प्रमाणीत करने वाले लिखित पत्र को प्रमाणक कहते है , बीजक रकम भुगतान कि रसीद आदि प्रमाणक कहलाते है लेन - देनो कि प्रविष्टि करते समय पुस्तको मे इनका लेखा किया जाता है !
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